Tuesday, October 14, 2014

Private schol kids vs public school

प्राइवेट स्कुल के बच्चे चिड़ियाघर में⤵ - oh !! wow monkey is sleeping don't disturb😧😦
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Govt. Scool k bache↩
ऐ विज्या उ देख थारो बाप सुत्तो पड्यो है, भाटो मार इके !!😛
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Morning time :
Pati : darling aaj se apan walk par jate hai, mere sath aaogi ??
Patni : tum kehna kya chahte ho me moti ho gai ??
Pati : okay mat aana bass
Patni : kehna kya chahte ho, kya me lazy hu ??
Pati : uuff gussa kyu hoti ho janu
Patni : tumhara matlab hai ki me hamesha jhagda hi karti hu esa hi na ??
Pati : mene aisa kaha bola baby
Patni : achhaa to me kya juth bol rahi hu ??
Pati : okay sweetheart, na aao me akela hi chala jata hu
Patni : ruko ruko, what do you mean ke akela chala jata hu, koi dusri to nahi aati hai kya ?? Bolo bolo
Pati : mujhe bhi nahi jana, so jaao ab please 
Bichara pati 
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बस से उतरकर जेब में हाथ डाला। मैं चौंक
पड़ा।
जेब कट चुकी थी।
जेब में था भी क्या?
कुल 90 रुपए और एक खत, जो मैंने
माँ को लिखा था कि—
मेरी नौकरी छूट गई है;
अभी पैसे नहीं भेज पाऊँगा।
तीन दिनों से वह पोस्टकार्ड जेब में
पड़ा था।
पोस्ट करने को मन ही नहीं कर रहा था।
90 रुपए जा चुके थे। यूँ 90 रुपए कोई
बड़ी रकम नहीं थी,
लेकिन जिसकी नौकरी छूट चुकी हो,
उसके लिए 90 रुपए ,, नौ सौ से कम
नहीं होते।
कुछ दिन गुजरे। माँ का खत मिला।
पढ़ने से पूर्व मैं सहम गया।
जरूर पैसे भेजने को लिखा होगा।….
लेकिन, खत पढ़कर मैं हैरान रह गया।
माँ ने लिखा था—"बेटा, तेरा 1000 रुपए
का भेजा हुआ मनीआर्डर मिल गया है।
तू कितना अच्छा है रे!…
पैसे भेजने में
कभी लापरवाही नहीं बरतता।
"
मैं इसी उधेड़- बुन में लग गया कि आखिर
माँ को मनीआर्डर किसने भेजा होगा?
कुछ दिन बाद, एक और पत्र मिला।
चंद लाइनें थीं— आड़ी तिरछी।
बड़ी मुश्किल से खत पढ़ पाया।
लिखा था—"भाई, 90 रुपए तुम्हारे और
910 रुपए अपनी ओर से मिलाकर मैंने
तुम्हारी माँ को मनीआर्डर भेज
दिया है। फिकर न करना।….
माँ तो सबकी एक-जैसी होती है न।
वह क्यों भूखी रहे?…
तुम्हारा—जेबकतरा...
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बंटी : पापा अपना सरनेम तो बाघ है तो भी आप मम्मी से इतना क्यों डरते हो ?? 
पापा : बेटा तेरी मम्मी का मायके का सरनेम बाघमारे जो हैं ..... 
  

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