Tuesday, October 14, 2014

AAj ka naya shraadh....

 श्राद्ध
एक दिन बाद
बहू को आया याद
अरे कल था ससुरजी का श्राद्ध
आधुनिका बहू ने क्या किया
डोमिनोस को फोन किया
और एक पिज़ा पंडितजी के यहाँ भिजवादिया
ब्राहमण भोजन का ये मोडर्न स्टाइल था
दक्षिणा के नाम पर कोक मोबाइल था
रातससुरजी सपने में आये
थोड़े से मुस्कराए
बोले शुक्रिया
मरने के बाद ही सही,याद तो किया
पिज़ा अच्छा था,भले ही लेट आया
मैंने मेनका और रम्भा के साथ खाया
उन्हें भी पसंद आया
बहू बोली,अच्छा तो आप अप्सराओं के साथ खेल रहे है
और हम यहाँ कितनी मुसीबतें झेल रहे है
महगाई का दोर बड़ता ही जाता है
पिज़ा भी चार सो रुपयों में आता है
ससुरजी बोले हमें सब खबर है भले ही दूर बैठें है
लेट हो जाने पर डोमिनो वाले भी पिज़ा फ्री में देते है 
Ekdum naya wala he....😆😆

 
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  आज का गंभीर विचार....
रिश्तों को बहुत ही सावधानी से निभाना चाहिये ...
रिश्ते की डोर बड़ी नाज़ुक होती है ...
जरा सी बात पे कैसे एक रिश्ता टूट जाता है, उदाहरण देखें ...
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"मूँगफली में दाना नहीं ... हम तुम्हारे मामा नहीं"
  
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भारतीय लड़कियां खेलों में अच्छी क्यों नहीं हैं?
क्योंकि, सिर्फ 10% क्रिकेट, हॉकी, टेनिस,
बैडमिंटन, शतरंज आदि खेलती हैं बाकि कि 90%
तो जानू से खेलने में व्यस्त रहती हैं ।
जानू कहाँ हो?
जानू क्या कर रहे हो?
जानू कब आओगे?
जानू आप मुझसे प्यार करते हो न?
जानू किसके साथ हो?
जानू मुझे ये चाहिए।
जानू फिल्म देखने चलें, जानू ये क्या है?
जानू क्या किया दिनभर?
जानू आपने मुझे याद किया न?
जानू कुछ तो बोलो।
जानू मुझे आपकी बहुत याद आ रही है।
जानू ये।
जानू वो।
जानू कुछ नहीं।
"जान ले लो जानू की।
  
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